सक्ति जिला मातृ शिशु अस्पताल में अव्यवस्था चरम पर, मरीज बेहाल, डॉक्टरों पर दुर्व्यवहार के आरोप

सक्ति।
जिले के 50 बिस्तर वाले मातृ शिशु अस्पताल की हालत बद से बदतर हो चुकी है। अस्पताल में गंदगी, अव्यवस्था और डॉक्टरों के दुर्व्यवहार से मरीज मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हो रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

गंदगी और अव्यवस्था से जूझ रहा अस्पताल

अस्पताल परिसर के बाहर कूड़े-करकट का ढेर लगा हुआ है, जिससे बदबू और संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। अस्पताल के मुख्य द्वार, सीढ़ियों और वार्डों में भी गंदगी फैली हुई है। वहीं, प्रसव कक्ष और अस्पताल के शौचालयों की हालत बेहद खराब है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।


बुनियादी सुविधाओं का अभाव

अस्पताल में पीने के पानी की उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को बाहर से पानी लाना पड़ रहा है। वहीं, दवाइयों की भारी कमी के कारण मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। वहीं बेडशीट तक मरीजों को मुहैया नहीं कराया जा रहा।


खून-पेशाब जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

शिकायत कर्ता ने बताया कि जिला अस्पताल में खून और पेशाब जांच के नाम पर केवल कुछ सीमित जांच ही की जा रही हैं, जबकि बाकी जांचों के लिए मरीजों को बाहर प्राइवेट लैब भेजा जा रहा है। इससे गरीब मरीजों को आर्थिक रूप से भी भारी नुकसान हो रहा है।
डॉक्टरों पर मरीजों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप

बाराद्वार निवासी नरेश राठौर ने अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर जब शिकायत की, तो उन्हें डॉक्टरों की बदसलूकी का सामना करना पड़ा। एक सीनियर डॉक्टर ने उन्हें "अस्पताल को अपना निजी अस्पताल" बताते हुए वहां से चले जाने को कहा। वहीं, एक महिला डॉक्टर ने भी मरीजों से कहा कि ‘यहां ऐसा ही चलता है, इलाज कराना है तो कराओ, वरना प्राइवेट अस्पताल चले जाओ’

शिकायत के बाद भी प्रशासन मौन

नरेश राठौर ने इस पूरे मामले की शिकायत सक्ति कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) से की है। इतना ही नहीं, उन्होंने अस्पताल की दयनीय स्थिति और डॉक्टरों के दुर्व्यवहार का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी साझा किया है

प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल

डिजिटल युग में भी स्वास्थ्य सेवाओं की इतनी दयनीय स्थिति प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। जब जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का यह हाल है, तो ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कैसी होगी?

मरीजों और परिजनों ने जिला प्रशासन से तत्काल अस्पताल की स्थिति सुधारने और मरीजों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है। यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आंदोलन करने की बात शिकायत कर्ता द्वारा कहा गया।

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