सक्ती में जनपद अध्यक्ष पद के लिए जोड़-तोड़ तेज, कांग्रेस और भाजपा में घमासान

सक्ती।
नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक होने से पार्टी कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास बना हुआ है। वहीं, भाजपा की डबल इंजन सरकार जनपद अध्यक्ष पद पर अपना कब्जा जमाने की रणनीति में जुटी हुई है।

भाजपा में मजबूत दावेदार , मगर क्या पलटू राम बिगाड़ सकते हैं खेला 

भाजपा में कई मजबूत दावेदार हैं, लेकिन जब अध्यक्ष पद की बारी आती है, तो कुछ एक दावेदार चुनावी खर्च के डर से पीछे  नजर आ रहे हैं। ऐसे कमजोर इच्छाशक्ति वाले उम्मीदवारी शायद ही करेंगे।  वहीं, कुछ चुनकर आए भाजपा नेता मतदान के समय "पलटू राम" की भूमिका में नजर आ चुके हैं, जो बीते पांच साल जन चर्चा का विषय बना हुआ था। जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष पनप रहा है। अब इन सभी समस्याओं के बीच क्या भाजपा जनपद अध्यक्ष बना पाने में सफल होगी?

कांग्रेस के लिए राह आसान या मुश्किल?
कांग्रेस के पास जिला मुख्यालय और नगर पालिका चुनाव में हार के बावजूद जनपद में अपना अध्यक्ष बनाने का अवसर है। लेकिन पार्टी के भीतर गुटबाजी और असंतोष कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है। हालांकि, तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक होने से समीकरण उनके पक्ष में रह सकते हैं।

कौन मारेगा बाजी?
जनपद अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों जोड़-तोड़ में लगे हुए हैं। जहां भाजपा सरकार की ताकत का फायदा उठाने की कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस अपने विधायकों की पकड़ और स्थानीय समीकरणों को भुनाने का प्रयास करेगी। अब देखना यह होगा कि जनपद की राजनीति में कौन सी पार्टी अपनी रणनीति में सफल होती है और अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाती है।

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