ग्राम पंचायत सरवानी में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत किए गए नाली निर्माण कार्य में गलत वेंडर के नाम से भुगतान प्रविष्टि का मामला प्रकाश में आया है। शिकायतकर्ता द्वारा निर्माण सामग्री स्वयं क्रय कर कार्य पूर्ण किया गया, लेकिन ऑनलाइन भुगतान एंट्री में "सौम्या इंटरप्राइजेस" नामक वेंडर का नाम दर्ज किया गया, जिससे शिकायतकर्ता का कोई वास्ता नहीं है।
इस गंभीर अनियमितता की लिखित शिकायत दिनांक 07 मार्च 2025 को जनपद पंचायत सक्ती की मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) को सौंपी गई थी। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अब तक न तो कोई जांच आरंभ की गई और न ही शिकायतकर्ता को कोई जवाब दिया गया है। यह स्थिति जनपद पंचायत प्रशासन की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
फर्जीवाड़े में कर्मचारी की संलिप्तता स्पष्ट, सीईओ की "संरक्षक" भूमिका पर संदेह
जानकारी के अनुसार, उक्त फर्जी प्रविष्टि तकनीकी सहायक की मिलीभगत से की गई है। लेकिन सीईओ द्वारा इस मामले में पूर्ण निष्क्रियता बरती जा रही है। यह रवैया केवल लापरवाही नहीं बल्कि संभावित संरक्षण को दर्शाता है।
ग्रामीणों का कहना है कि जब प्रमाण सहित शिकायत प्रस्तुत की जा चुकी है, तो सीईओ द्वारा कार्यवाही से दूरी बनाना स्वयं उनकी भूमिका को संदिग्ध बना देता है। क्या यह भ्रष्टाचारियों को बचाने का प्रयास है?
ग्राम पंचायत सरवानी के पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह गोंड ने बताया कि उक्त मामले में गलत बिल लगाकर, सरपंच सचिव के हस्ताक्षर के बिना ही एक वेंडर के नाम पर 15 लाख का भुगतान किया गया है। जो कि असंभव है मगर जनपद पंचायत सक्ती में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि यहां इस तरह के कार्य आसानी से संभव हो गया। और शिकायत के बावजूद उक्त कर्मचारी पर कोई कार्यवाही न होना भी समझ नहीं आ रहा।
इस संबंध में जानकारी हेतु तकनीकी सहायक और जनपद सीईओ से जानकारी लेने फोन लगाने पर उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया।