बाराद्वार से मायानगरी तक का सफर: राहुल थवाईत ने मेहनत और जज्बे से रचा सफलता का इतिहास

बाराद्वार : सपने अगर सच्चे हों और इरादे मजबूत, तो छोटे से कस्बे का युवक भी मायानगरी मुंबई में अपनी पहचान बना सकता है। इसका जीवंत उदाहरण हैं बाराद्वार के वार्ड क्रमांक 04 निवासी राहुल थवाईत, जिन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से फिल्मी दुनिया में एक ऐसा मुकाम हासिल किया है, जिससे आज पूरा नगर, जिला और प्रदेश गर्व महसूस कर रहा है।

राहुल का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ। उनके पिता संतोष थवाईत सायकल व्यवसाय से जुड़े हैं। सीमित संसाधनों के बीच पला-बढ़ा राहुल बचपन से ही कुछ अलग करने का सपना देखता था। लेकिन उस सपने को हकीकत में बदलना आसान नहीं था। छोटे कस्बे से निकलकर फिल्मी दुनिया में कदम रखना, वो भी बिना किसी गॉडफादर या पहचान के, एक चुनौतीपूर्ण सफर था।

मुंबई की राह, संघर्षों की कहानी
साल 2017 में राहुल ने अपने सपनों को साकार करने की ठानी और मुंबई की ओर रुख किया। उनके पास न तो बड़ा नाम था, न ही कोई सिफारिश—सिर्फ था तो एक अटूट विश्वास, मेहनत करने का जुनून और सीखने की ललक। शुरुआती दिनों में उन्होंने छोटे-मोटे प्रोजेक्ट्स पर काम किया, तकनीकी पहलुओं को समझा, और धीरे-धीरे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

राहुल का टैलेंट और उनकी मेहनत रंग लाई, जब उन्हें बॉलीवुड के मशहूर कलाकार राजपाल यादव के साथ अर्ध फिल्म में बतौर क्रिएटिव डायरेक्टर काम करने का मौका मिला। यह उनके करियर का अहम मोड़ साबित हुआ, जिसने उनके आत्मविश्वास को और मजबूत किया।

छत्तीसगढ़ी सिनेमा में नई पहचान
अपने राज्य और मातृभूमि से जुड़े रहने के अपने संकल्प को निभाते हुए, राहुल ने छत्तीसगढ़ी सिनेमा में कदम रखा और छत्तीसगढ़ के सुपरस्टार अनुज शर्मा को लेकर फिल्म सुहाग का निर्देशन किया। यह फिल्म वर्तमान में छत्तीसगढ़ के सिनेमा घरों में धमाकेदार प्रदर्शन कर रही है और दर्शकों से खूब सराहना बटोर रही है।

युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत
राहुल थवाईत की यह कहानी उन तमाम युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो छोटे शहरों या कस्बों में रहकर बड़े सपने देखते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती।आज राहुल सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि संघर्ष, मेहनत और सपनों को हकीकत में बदलने की एक प्रेरक कहानी बन चुके हैं।

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