बाराद्वार दूरपा का युवा अभिनव राठौर ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सात समुंदर पार ऑस्ट्रेलिया पहुंचाया

बाराद्वार दूरपा के युवा अभिनव की उड़ान सात समंदर पार ऑस्ट्रेलिया तक, बिन बोले ही कर दिया कमाल। अभिनव की हौसले को सलाम

बाराद्वार/दुरपा – “जिनके इरादों में जान होती है, उनके सामने कोई भी दीवार दीवार नहीं होती।” इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है ग्राम पंचायत दुरपा निवासी अभिनव राठौर ने, जो जन्म से मूकबधिर होने के बावजूद अपनी लगन और प्रतिभा के दम पर अब ऑस्ट्रेलिया की धरती पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति को प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

9 से 18 मई तक ऑस्ट्रेलिया में आयोजित सांस्कृतिक यात्रा में अभिनव 14 सदस्यीय भारतीय दल का हिस्सा हैं। इस दौरान वे अपने कला प्रदर्शन से न केवल भारतीय संस्कृति, बल्कि विशेष रूप से छत्तीसगढ़ की लोक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को विश्व मंच पर उजागर करेंगे।

सक्ती के मूकबधिर विद्यालय से 10वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अभिनव ने इंदौर में आगे की शिक्षा जारी रखी। वर्तमान में वे कॉलेज के अंतिम वर्ष में हैं। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने तैराकी में भी कमाल किया है और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त कर राज्य और जिले का मान बढ़ाया है।

उनकी इस अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि पर पूरे क्षेत्र में उत्साह की लहर है। उनके माता-पिता – पूर्व सरपंच श्रीमती धायत्री देवी राठौर और जल संसाधन विभाग में कार्यरत  सुखीराम राठौर – ने बेटे की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि "अभिनव ने साबित कर दिया कि असल प्रतिभा किसी कमी की मोहताज नहीं होती।"

अभिनव की यह उड़ान उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो किसी न किसी चुनौती से जूझ रहे हैं। यह संदेश भी है कि सही दिशा, मेहनत और आत्मविश्वास हो तो सपनों की ऊंचाई तक पहुँचना संभव है।


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