मीनू अपने स्केचिंग कला से मचा रही धमाल

स्केच तैयार करती मीनू वैष्णव

 रायगढ़। लोगों में अनेक गुण और कला छिपे होते हैं। पर कुछ एक कलाकारी आपको औरों से अलग पहचान दिलाता है। ऐसे ही अद्भुत कला की धनी हैं मीनू वैष्णव। मीनू जो अपने स्केचिंग कला से रायगढ़ जिले में एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हो रही है। अपने भाई की पेंटिंग कला से प्रेरणा लेकर 2011 में इन्होंने स्केच बनाना शुरू किया। धीरे धीरे इस कला को मीनू ने अपना शौक बना लिया। स्केच बनाने के उनके शौक ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाया। शुरुआती दौर में मीनू किसी को भी उनके जीवंत स्वरूप को कागजों पर पेंसिल से बनाकर गिफ्ट के तौर पर भेंट कर दिया करती थी। आज भी वह बहुत से लोगों को उनके स्केच बनाकर उन्हे गिफ्ट करती हैं। साथ ही लोगों के डिमांड पर पैसे लेकर भी उनका स्केच बनाती हैं। मीनू अपनी स्केचिंग कला से आज अच्छा खासा आमदनी प्राप्त कर लेती है। मूलतः रायगढ़ जिला के लैलूंगा ब्लॉक अंतर्गत बगुडेगा निवासी 25 वर्षीय मीनू पिता ईश्वरी दास वैष्णव बताती हैं कि उन्हें स्केच बनाना बहुत पसंद हैं। साथ ही मेहंदी कला भी उन्हें आता है। इसके अलावा उन्हें खाना बनाना और घूमना पसंद हैं। ठाकुर शोभा सिंह सरगुजा यूनिवर्सिटी पत्थल गांव से स्नातक की पढ़ाई कर वर्तमान में यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं।


मीनू की खास बात यह है वह स्केच बनाने के लिए कोई अपना दर निर्धारित नहीं किया है। ग्राहक को जो ठीक लगे उतने में ही मीनू संतोष रखती है। मीनू बताती है कि एक स्केच को बनाने में 15 से 30 घंटे का समय लग जाता है। वहीं स्केच बनाने में समय के हिसाब से करीब 2000 हजार का खर्च आता है। बीते दिनों बगुडेगा में आयोजित हुए भागवत कथा में मीनू ने कथा वाचक पंडित बालकृष्ण पाण्डेय को उनका स्केच बनाकर भेंट किया था। जिस पर भागवताचार्य ने हर्ष जताते हुए उनके अद्भुत कलाकारी की प्रशंसा करते हुए उन्हें इस भेंट के लिए धन्यवाद दिया था।



मीनू कहती हैं कि किसी दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री उनके ग्राम पंचायत बगुडेगा पहुंचेंगे तो उन्हे उनका स्केच भेंट कर उनका स्वागत करना चाहती हैं। अगर कका का आगमन उनके गांव नहीं हो पाता है, तो मीनू रायपुर जाकर कका से मुलाकात कर उनका स्केच उन्हें भेंट करना चाहती हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post