तिथि का टेढ़ा खेल:
नकल के लिए अक्ल का "रंग-तंत्र":
तारीखों के इस रंग-बदलू खेल ने नकल के आसार भी खूब बढ़ा दिए हैं। छात्रों का कहना है कि "जनपद में नकल करने वालों की चहेती तारीख तय करने का होली महोत्सव चल रहा है!"
कुछ समझदार छात्रों ने कटाक्ष किया, "लगता है, फैल होने के डर से होली का रंग खेलकर परीक्षा की तिथियों पर विचार का निर्णय लिया गया है!"
भगवा का फीका रंग:
अब राजनीति का रंग भी इस होली में घुल गया है। कहा जा रहा है कि "भगवा रंग में रंगने वालों की संख्या कम है," इसलिए तारीखें बदली जा रही हैं। जनपद अध्यक्ष चुनाव की सुगबुगाहट के बीच यह संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं चहेते छात्रों को अव्वल लाने की साजिश तो नहीं चल रही!
छात्रों की होली रैली:
परीक्षा से परेशान छात्रों ने होली के मौके पर रंग-बिरंगी तख्तियां उठाकर नारा लगाया, "तारीख बदले या न बदले, हमारी मेहनत नहीं बदलेगी!"
किसी ने तंज कसा, "तिथि बदलने वाले भी होली में ऐसे रंगे कि अब खुद को पहचान नहीं पा रहे!"
होली का संदेश:
इस बार सक्ती जनपद की होली में नकल, राजनीति और परीक्षा की तिथियों का ऐसा कॉकटेल बना है कि हर कोई कंफ्यूज है।
छात्रों का कहना है, "होली का असली रंग तो तब आएगा जब परीक्षा की तारीखें फिक्स हो जाएं और नकल के अरमान धुल जाएं!"
तो भाइयों और बहनों, रंगों का ये सियासी खेल देखते रहिए और होली का असली मजा लीजिए!
होली है!