बाराद्वार नगर पंचायत चुनाव: जन चर्चा से आ रहे चौंकाने वाले समीकरण, सौदे के खेल में उलझी पार्टीगत राजनीति!

 

बाराद्वार। नगर पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद को लेकर बन रहे समीकरणों ने सभी को चौंका दिया है। निजी स्वार्थ और व्यक्तिगत जीत की रणनीति में वार्डों के कई प्रत्याशी अपने ही दल के खिलाफ अंदरखाने खेल करते नजर आ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह स्थिति दोनों प्रमुख दलों में समान रूप से देखने को मिल रही है, जिससे चुनावी माहौल पूरी तरह से उलझ गया है।

अपने ही अपनों के खिलाफ, दलों की रणनीति कमजोर

नगर में चर्चा जोरों पर है कि कुछ प्रत्याशी अपने व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता देते हुए विपक्षी खेमे से गुपचुप समझौता कर रहे हैं। पार्टी लाइन पर खड़े रहने की बजाय वे अपनी सीट बचाने या निजी फायदे के लिए विरोधी खेमे से मेल-जोल बढ़ा रहे हैं। इससे राजनीतिक निष्ठा और पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं।

कार्यकर्ता भी दुविधा में, कौन किसके साथ?

नगर के मतदाता और कार्यकर्ता इस असमंजस में हैं कि वे किसे समर्थन दें। चुनावी माहौल इतना जटिल हो गया है कि कार्यकर्ताओं की स्थिति भी स्पष्ट नहीं हो रही है। वे किस खेमे में हैं, यह समझना मुश्किल हो गया है।

चुनावी सौदे की गूंज, लेकिन सच्चाई मतदान के बाद ही....

नगर में अलग-अलग गुटों के बीच सौदेबाजी की चर्चाएं लगातार बनी हुई हैं। कौन, किसके साथ गुप्त समझौता कर रहा है, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। लेकिन इन जन चर्चाओं में कितनी सच्चाई है और कितनी अफवाह, यह तो चुनावी परिणाम के बाद ही साफ हो पाएगा।

राजनीतिक नतीजे देंगे असली तस्वीर, विधानसभा चुनाव की तरह रोचक मुकाबला

चुनाव विश्लेषकों की मानें तो इस बार किसी भी दल के प्रत्याशी की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। जनता भी असमंजस में है और मतदान से पहले किसी एक पक्ष की ओर पूरी तरह झुकाव नजर नहीं आ रहा। चुनावी तस्वीर बीते सक्ती विधानसभा चुनाव जैसी उलझी हुई लग रही है, जहां अंत तक जीत का अंदाजा लगाना मुश्किल था।

अब देखना यह होगा कि 11 फरवरी को मतदान के बाद असली समीकरण क्या बनते हैं और कौन किसके साथ था, यह परिणाम के बाद ही साफ हो पाएगा। फिलहाल, बाराद्वार की राजनीति में रोमांच चरम पर है और हर ओर एक ही सवाल गूंज रहा है— "असली खेल कौन खेल रहा है?"

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