छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली नई भाजपा सरकार द्वारा लगातार सक्रियता दिखाते हुए एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार कैबिनेट बैठक हो रही है। इस बैठक का मुख्य फोकस नगरीय निकाय चुनाव है। माना जा रहा है कि बैठक में महापौर और अध्यक्ष के प्रत्यक्ष चुनाव से संबंधित अध्यादेश पर चर्चा और संभावित स्वीकृति दी जाएगी।
मुख्य बिंदु:
1. अध्यादेश की दिशा:
वर्तमान में महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता है, जहां पार्षदों के माध्यम से इन्हें चुना जाता है। नई सरकार इसे बदलकर जनता द्वारा सीधे मतदान से चुनाव कराने की व्यवस्था लागू करना चाहती है।
2. पिछले बदलाव:
2018 में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने महापौर के चुनाव को अप्रत्यक्ष कर दिया था। भाजपा सरकार अब इसे पूर्व व्यवस्था (प्रत्यक्ष चुनाव) में वापस लाने पर जोर दे रही है।
3. ओबीसी आरक्षण पर चर्चा:
निकाय चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण पर भी मंथन हो सकता है। इस मुद्दे पर निर्णय से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सकेगा।
4. संयुक्त चुनाव की संभावना:
नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों को एक साथ कराने पर विचार हो रहा है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया में सरलता आएगी।
छत्तीसगढ़ में कुल 189 नगरीय निकाय हैं, जिसमें 14 नगर निगम, 52 नगर पालिका परिषद और 123 नगर पंचायतें शामिल हैं। सरकार का यह कदम जनता के सीधे हस्तक्षेप को बढ़ावा देने और प्रशासन को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।